Ajay Amitabh Suman
1 min readNov 12, 2019

देशभक्त

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई ,
या जैन या बौद्ध की कौम,
चलो बताऊँ सबसे बेहतर ,
देश भक्त है आखिर कौन।

जाति धर्म के नाम पे इनमें ,
कोई ना संघर्ष रचे ,
इनके मंदिर मुल्ला आते,
पंडा भी कोई कहाँ बचे।

टैक्स बढ़े कितना भी फिर भी,
कौम नहीं कतराती है ,
मदिरालय से मदिरा बिना,
मोल भाव के ले आती है।

एक चीज की अभिलाषा बस,
एक चीज के ये अनुरागी,
एक बोतल हीं प्यारी इनको,
त्यज्य अन्यथा हैं वैरागी।

नहीं कदापि इनको प्रियकर,
क्रांति आग जलाने में ,
इन्हें प्रियकर खुद हीं मरना,
खुद में आग लगाने में।

बस मदिरा में स्थित रहते,
ना कोई अनुचित कृत्य रचे,
दो तीन बोतल भाँग चढ़ा ली,
सड़कों पर फिर नृत्य रचे।

किडनी अपना गला गला कर,
नितदिन प्राण गवाँते है ,
विदित तुम्हें हो लीवर अपना,
देकर देश बचाते हैं।

शांति भाव से पीते रहते ,
मदिरा कौम के वासी सारे,
सबके साथ की बातें करते ,
बस बोतल के रासी प्यारे।

प्रतिक्षण क़ुरबानी देते है,
पर रहते हैं ये अति मौन ,
इस देश में देशभक्त बस ,
मदिरालय के वासी कौम।

Ajay Amitabh Suman
Ajay Amitabh Suman

Written by Ajay Amitabh Suman

[IPR Lawyer & Poet] Delhi High Court, India Mobile:9990389539

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