जीवन उर्जा

Ajay Amitabh Suman
2 min readFeb 13, 2019

--

जीवन ऊर्जा तो एक हीं है,

ये तुमपे कैसे खर्च करो।

या जीवन में अर्थ भरो या,

यूँ हीं इसको व्यर्थ करो।

तुम मन में रखो हीन भाव,

और ईक्क्षित औरों पे प्रभाव,

भागो बंगला गाड़ी पीछे ,

कभी ओहदा कुर्सी के नीचे,

जीवन को खाली व्यर्थ करो,

जीवन ऊर्जा तो एक हीं है,

ये तुमपे कैसे खर्च करो।

या मन में अभिमान, ताप ,

तन में तेरे पीड़ा संताप,

जो ताप अगन ये छायेगा,

तेरा तन हीं जल जायेगा,

अभिमान , क्रोध अनर्थ तजो,

जीवन ऊर्जा तो एक हीं है,

ये तुमपे कैसे खर्च करो।

जीवन मे होती रहे आय,

हो जीवन का ना ये पर्याय,

कि तुममे बसती है सृष्टि,

कर सकते ईश्वर की भक्ति,

कोई तो तुम निष्कर्ष धरो,

जीवन ऊर्जा तो एक हीं है,

ये तुमपे कैसे खर्च करो।

धन से सब कुछ जब तौलोगे,

जबतक निज द्वार न खोलोगे,

हलुसित होकर ना बोलोगे,

चित के बंधन ना तोड़ोगे,

तुममे कैसे प्रभु आन बसो?

जीवन ऊर्जा तो एक हीं है,

ये तुमपे कैसे खर्च करो।

कभी ईश्वर यहाँ न आएंगे,

कोई मार्ग बता न जाएंगे ,

तुमको हीं करने है उपाय,

इस जीवन का क्या है पर्याय,

निज जीवन में कुछ अर्थ भरो,

जीवन ऊर्जा तो एक हीं है,

ये तुमपे कैसे खर्च करो।

बरगद जो ऊँचा होता है,

ये देख अनार क्या रोता है?

खग उड़ते रहते नील गगन ,

मृग अनुद्वेलित खुद में मगन,

तुम भी निज में कुछ फर्क करो,

जीवन ऊर्जा तो एक हीं है,

ये तुमपे कैसे खर्च करो।

ये देख प्रवाहित है सरिता,

जैसे किसी कवि की कविता,

भौरों के रुन झुन गाने से,

कलियों से मृदु मुस्काने से,

आह्लादित होकर नृत्य करो,

जीवन ऊर्जा तो एक हीं है,

ये तुमपे कैसे खर्च करो।

तुम लिखो गीत कोई कविता,

निज हृदय प्रवाहित हो सरिता,

कोई चित्र रचो, संगीत रचो,

कि हास्य कृत्य, कोई प्रीत रचो,

तुम हीं संबल समर्थ अहो ,

जीवन ऊर्जा तो एक हीं है,

ये तुमपे कैसे खर्च करो।

अजय अमिताभ सुमन

सर्वाधिकार सुरक्षित

--

--

Ajay Amitabh Suman
Ajay Amitabh Suman

Written by Ajay Amitabh Suman

[IPR Lawyer & Poet] Delhi High Court, India Mobile:9990389539

No responses yet