1 min readFeb 7, 2019
चाहत
अदा भी सनम के ,
क्या खूब है खुदा मेरे।
लेके दिल पूछते है ,
क्या दिल से चाहता हूँ।
जो दिल ही दे दिया है ,
तो दिल की इस बात को।
दिल से जताऊं कैसे ,
कि दिल से चाहता हूँ।
ये दिल जो ले गए हो ,
दिमाग भी ले जाओ।
मेरी जमीं तुम्हारी ,
आकाश भी ले जाओ।
बस एक जनम की,
चाहत नहीं है मुझको ।
लगता है मुझको ऐसे,
सदियों से चाहता हूँ ।
फिदा थे तुमपे पहले ,
फिदा है तुमपे अबतक।
और चाहुँ क्या तुमसे ,
क्या कहना चाहता हूँ।
समा जाए तू मुझमे ,
समा जाऊँ मै तुुुझमें।
बस इतना चाहता हूँ ,
बस इतना चाहता हूँ।
अजय अमिताभ सुमन
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