आदतें
1 min readAug 22, 2019
तुम आते हीं रहो देर से,हम रोज हीं बतातें है,
चलो चलो हम अपनी अपनी,आदतें दुहराते हैं।
लेट लतीफी तुझे प्रियकर, नहीं समय पर आते हो,
मैं राही हूँ सही समय का, नाहक हीं आजमाते हो।
मेरी इस कोशिश में कोई कसर नहीं बाकी होगा,
फ़िक्र नहीं कि तुझपे कोई असर नहीं बाकी होगा।
देखो इन मुर्गो को ये नित दिन हीं सबको उठाते हैं,
मुर्दों पे कोई असर नहीं फिर भी तो बांग सुनाते है।
मुर्गों का काम उठाना है, वो नित दिन बांग लगाएंगे,
मुर्दों पे कोई असर नहीं ,जो जिंदे हैं जग जाएंगे।
जिसका जो स्वभाव निरंतर,वो हीं तो निभाते हैं,
चलो चलो हम अपनी अपनी,आदतें दुहरातें हैं।