राज दुलारी
--
सुन ले मेरी राज दुलारी,
मेरे बच्चों की महतारी।
क्यों आज यूँ भूखी रहती,
उदरक्षोभ क्यूँ सहती रहती?
मेरे पैर क्यों यूँ धोती हो,
मृगनयनी भूखी सोती हो?
मेरे लिए न दीप जलाओ,
घंटी वंटी यूँ न बजाओ।
मैं तो ऐसे हीं नाथ तुम्हारा,
तेरे हित हीं सबकुछ हारा।
सुनो प्राणनाथ प्रिय तुम दुलारे,
धन लाते नित घर तुम हमारे।
देखो आज दिवाली आई,
मैं वरती हूँ लक्ष्मी माई।
पर लक्ष्मी उल्लू पे आती,
तेरे मेरे मन को भाती।
इसीलिए पूजा करती हूँ,
चरणों में तेरे होती हूँ।
ब्लड प्रेसर तुम खुद लेते हो,
और हमको गहना देते हो।
और कहाँ मैं लेने जाऊँ,
तुम सम सुंदर उल्लू पाऊं?
इसी लिए पूजा करती हूँ,
उल्लू जी तुमको हरती हूँ।