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दिल्ली,एन. सी.आर. में
दिल्ली , एन.सी.आर.में
क्या रखा है रोज की कीच कीच,झगड़ा और तकरार में,
आ जाओ कुछ दिवस बिता लो,दिल्ली , एन.सी.आर.में।
माँ बाप के पैसों पर जो,यूँ हीं मौज उड़ाते हो,
कोका कोला पिला पिला,जिह्वा को सुख दिलाते हो,
खरचाने का सुख इतना ना,होगा और संसार में,
आ जाओ कुछ दिवस बिता लो,दिल्ली , एन.सी.आर.में।
लिवर ,किडनी के तुम दुश्मन,जिगरा रोज गलाते हो,
खाँस खाँस खाँसी से यारी,तुम जो रोज निभाते हो।
पापा के अरमानों का,चर्चा ना तेरे आचार में,
आ जाओ कुछ दिवस बिता लो,दिल्ली , एन.सी.आर.में।
मरने का जो प्लान बनाते,बीड़ी खूब जलाते हो,
खैनी , गुटका संगी साथी,मदिरा से भरमाते हो,
त्यागो लघु विष में क्या रखा,क्या सिगरेट, सिगार में,
आ जाओ कुछ दिवस बिता लो,दिल्ली , एन.सी.आर.में।
आ जाओ दिल्ली में प्यारे,धूम धड़ाका खूब मिलेगा,
कानों के पर्दे फट जाएँगे,सीने में अगन खूब फलेगा,
नरक लोक से प्रेम जो तुझको,इह लोक संसार में,
आ जाओ कुछ दिवस बिता लो,दिल्ली , एन.सी.आर.में।
पैसे जो कुछ बचे हुए हैं,क्षण भर में उड़ जायेंगे,
मेडिसिन का बाजार बढ़ेगा,डॉक्टर हलुसित गाएंगे,
चैन वैन सब बिक जाएगा,इस दिल के व्यापार में,
आ जाओ कुछ दिवस बिता लो,दिल्ली , एन.सी.आर.में।
धुएँ के काले बादल,अक्सर छाए हीं रहते हैं,
मैगी वैगी पिजा वीजा,उदर क्षोभ कर बसते हैं,
डेंगू वेंगु,दम्मा वम्मा,मिल जाएंगे उपहार में,
आ जाओ कुछ दिवस बिता लो,दिल्ली , एन.सी.आर.में।
क्या रखा है रोज की कीच कीच,झगड़ा और तकरार में,
आ जाओ कुछ दिवस बिता लो,दिल्ली , एन.सी.आर.मे।