खा जाओ इसको तल के
शैतानियों के बल पे,
दिखाओ बच्चों चल के,
ये देश जो हमारा,
खा जाओ इसको तल के।
किताब की जो पाठे,
तुझको पढ़ाई जाती,
जीवन में सारी बातें,
कुछ काम हीं ना आती।
गिरोगे हर कदम तुम ,
सीखोगे सच जो कहना,
मक्कारी सोना चांदी ,
और झूठ हीं है गहना।
जो भी रहा है सीधा ,
जीता है गल ही गल के,
चापलूस हीं चले हैं ,
फैशन हैं आजकल के ।
इस राह जो चलोगे छा ,
जाओगे तू फल के,
ये देश जो हमारा,
खा जाओ इसको तल के।